સોમવાર, 18 માર્ચ, 2024

जड़ी-बूटियों

 अपने आहार में कुछ विशेष जड़ी-बूटियों को शमिल करके आप अपने दिमाग को तेज कर सकते हैं।




जटामांसी :-

जटामांसी औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी-बूटी है। इसे जटामांसी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी जड़ों में जटा बाल जैसे तंतु लगे होते हैं। यह दिमाग के लिए एक रामबाण औषधि है, यह धीमे लेकिन प्रभावशाली ढंग से काम करती है। इसके अलावा यह याददाश्त को तेज करने की भी अचूक दवा है। एक चम्मच जटामासी को एक कप दूध में मिलाकर पीने से दिमाग तेज होता है।


ब्राह्मी :-

बाह्मी नामक जड़ी-बूटी को दिमाग के लिए टॉनिक भी कहा जाता है। यह दिमाग को शांति और स्पष्टता प्रदान करती है और याद्दाश्त को मजबूत करने में भी मदद करती है। आधे चम्मच बाह्मी के पाउडर और शहद को गर्म पानी में मिलाकर पीने से दिमाग तेज होता है।


शंख पुष्पी :-

शंख पुष्‍पी दिमाग को बढ़ाने के साथ-साथ दिमाग में रक्त का सही सर्कुलेशन करके हमारी रचनात्मकता को भी बढ़ावा देता है। यह जड़ी-बूटी हमारी याद करने की क्षमता और सीखने की क्षमता को भी बढ़ाती है। दिमाग को तेज करने के लिए आधे चम्मच शंख पुष्पी को एक कप गरम पानी में मिला कर लें।


दालचीनी :-

दालचीनी सिर्फ गर्म मसाला ही नहीं, बल्कि एक जड़ी-बूटी भी है। यह दिमाग को तेज करने की बहुत अच्‍छी दवा है। रात को सोते समय नियमित रूप से एक चुटकी दालचीनी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर लेने से मानसिक तनाव में राहत मिलती है और दिमाग तेज होता है।


हल्‍दी :-

हल्दी दिमाग के लिए बहुत अच्‍छी जड़ी-बूटी है। यह सिर्फ खाने के स्वाद और रंग में ही इजाफा नहीं करती है, बल्कि दिमाग को भी स्वस्थ रखने में मदद करती है। हल्दी में पाया जाने वाला रासायनिक तत्व कुरकुमीन दिमाग की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को रिपेयर करने में मदद करता है और इसके नियमित सेवन से एल्जाइमर रोग नहीं होता है।


जायफल :-

दिमाग को तेज करने वाली जड़ी-बूटियों में जायफल भी एक उपयोगी जड़ी-बूटी है। गर्म तासीर वाले जायफल की थोड़ी मात्रा का सेवन करने से दिमाग तेज होता है। इसको खाने से आपको कभी एल्‍जाइमर यानी भूलने की बीमारी नहीं होती।


अजवाइन की पत्तियां :-

अजवाइन की पत्तियां खाने में सुगंध के अलावा शरीर को स्‍वस्‍थ बनाए रखने में भी मदद करती है। इसमें भरपूर मात्रा में मौजूद एंटी-ऑक्‍सीडेंट दिमाग के लिए एक औषधि की तरह काम करता है।


तुलसी :-

तुलसी कई प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए एक जानी-मानी जड़ी बूटी है। इसमें मौजूद शक्तिशाली एंटीऑक्‍सीडेंट हृदय और मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में सुधार करता है। साथ ही इसमें पाई जाने वाली एंटी-इंफ्लेमेटरी अल्‍जाइमर जैसे रोग से सुरक्षा प्रदान करता हैं।


केसर :-

केसर एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग खाने में स्‍वाद बढ़ाने के सा‍थ-साथ अनिद्रा और डिप्रेशन दूर करने वाली दवाओं में किया जाता है। इसके सेवन से दिमाग तेज होता है।

રાહત પેકેજ

 बहुत ही सुंदर दृष्टांत है जरूर पढ़ें ;


 सरकार द्वारा दी जा रही राहत पर एक अर्थशास्त्री की सटीक व्याख्या !


राहत पैकेज को ऐसे समझें।


एक बार 10 मित्र जिनमें कुछ फटेहाल, कुछ ठीक ठाक और कुछ सम्पन्न लग रहे थे, एक ढाबे में खाना खाने गए।


बिल आया 100 रु।  10 रु की थाली थी।


मालिक ने तय किया कि बिल की भागीदारी देश की कर प्रणाली के अनुरूप ही होगी।


इस प्रकार -


पहले 4 बेहद गरीब (बेचारे) .. फ्री

5वाँ गरीब .............1रु

6ठा कम गरीब .........3रु

7वाँ निम्न मध्यम वर्ग ....7रु

8वाँ मध्यम वर्ग .........12रु

9वाँ उच्च वर्ग ...........18रु

10वाँ अति उच्च वर्ग.. 59रु

 

दसों मित्रों को ये व्यवस्था अच्छी लगी और वो उसी ढाबे में खाने लगे।


कुछ समय तक रोज़ इन दसों को आते देख कर ढाबे का मालिक बोला - "आप लोग मेरे इतने अच्छे ग्राहक हैं सो मैं आप लोगों को टोटल बिल में 20 रु की छूट दे रहा हूँ ।"


अब समस्या ये कि इस छूट का लाभ कैसे दिया जाए सबको? पहले चार तो यूँ भी मुफ़्त में ही खा रहे थे।


एक तरीका ये था कि 20 रु बाकी 6 में बराबर बाँट दें तो भी बात नहीं बन पा रही थी, अगर ऐसा करते तो ऐसी स्थिति में पहले 4 के साथ 5वां भी फ्री हो जाता और 5 वां ₹2.33 और 6ठा ₹0.67 घर भी ले जा सकते थे मुफ्त खाने के अलावा। पर ढाबा-मालिक ने ज़्यादा न्याय संगत तरीका खोजा ।


नयी व्यवस्था में अब पहले 5 मुफ़्त खाने लगे। 

6वां 3 की जगह 2 रु देने लगा... 33%लाभ।

7वां 7 की जगह 5 रु देने लगा...28%लाभ।

8वां 12 की जगह 9 रु देने लगा...25%लाभ

9वां 18 की जगह 14₹ देने लगा...22%लाभ। और

10वां 59 की जगह49₹ देने लगा.. सिर्फ  16%लाभ। 


बाहर आकर 6ठा बोला, मुझे तो सिर्फ 1 रु का लाभ मिला जबकि वो पूंजीपति 10 रु का लाभ ले गया।


5वां जो आज मुफ़्त में खा के आया था, बोला वो मुझसे 10 गुना ज़्यादा लाभ ले गया।


7वां बोला , मुझे सिर्फ 2 रु का लाभ और ये उद्योगपति 10 रु ले गया।


पहले 4 बोले, जो कि मुफ्त में खा रहे थे .....अबे तुमको तो फिर भी कुछ मिला हम गरीबों को तो इस छूट का कोई लाभ ही नहीं मिला ।

ये सरकार सिर्फ इस पूंजीपति, उद्योगपति व सम्पन्न व्यक्ति के लिए काम  करती है ..मारो ..पीटो ..फूंक दो....इस हरामी को और सबने मिल के दसवें को पीट दिया।


यह सम्पन्न व्यक्ति (10 वां) पिटपिटा के इलाज करवाने सिंगापुर, आस्ट्रेलिया चला गया।

अगले दिन वो ना ही उस ढाबे में खाना खाने आया  और न ही लौटकर भारत आया।

और जो 9 थे उनके पास सिर्फ 40 रु थे जबकि बिल 72 रु का था । 


मित्रों अगर हम लोग उन बेचारे सम्पन्न लोगों को यूँ ही पीटेंगे तो हो सकता है वो किसी और ढाबे पर खाना खाने लगे (दूसरे राज्य/ देश में चला जाए) जहां उसे कर व राहत पैकेज प्रणाली हमसे बेहतर मिल जाए।


ये है कहानी हमारे देश के कर प्रणली, बजट व राहत पैकेज की..

मुफ़्त राशन, मुफ़्त शिक्षा, मुफ़्त बिजली पानी मुफ़्त सायकल, मुफ़्त लैपटॉप, मुफ़्त इलाज, मुफ़्त घर....

सरकार मुफ़्तख़ोरी की आदत लगा रही हैं जनता को ... देश ऐसे नहीं चलते...दुनिया में कुछ भी मुफ़्त नहीं मिलता किसी न किसी को तो क़ीमत चुकानी होगी ।


उद्योगपतियों, पूंजीपतियों व करदाताओं को चाहे जितनी गाली दीजिये पर सच्चाई यही है कि इन्हीं करदाताओं के योगदान से देश चल रहा है ।